नास्ति विद्या समो बन्धुर्नास्ति विद्या समः सुहृत।
नास्ति विद्या समं वित्तं नास्ति विद्या समं सुखम्।
विद्या जैसा बंधु नहीं, विद्या जैसा मित्र नहीं, (और) विद्या जैसा अन्य काई धन या सुख नहीं।
